मुक्तक (बेख़बर देहलवी)
मुक्तक जीवन में तो प्यार जरुरी होता है ! आँखों से व्यापार
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Read Moreआबादी के दंश से पर्यावरण खराब । आबादी को रोक के, धरा करेंगे साफ।1। पेड़ों में ब्रम्हा ,विष्णु ,पेड़ो
Read Moreसही नहीं पर्यावरण, भारत में प्रभु आज। जंगल कटते जा रहें, नहि आयें सब बाज। नही बढाना है अगर, जनमानस
Read Moreजला रहा है कौन सहारनपुर बस्ती को, कभी दलित कभी ठाकुरों की हस्ती को। साध रहा है कौन लक्ष्य होकर
Read Moreशीर्षक- दंगा/झगड़ा/फसाद आदि रोते झगड़े, विलखते झगड़े, किसके हाथ यह फसाद, बिगड़ते रिश्ते, किसके साथ दंगे दर्पण, समर समर्पण,
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