“मुक्तक”
अरमानों ने कर लिया, ढ़ूँढ ढ़ूँढ कर प्यार माँ ने ममता भर दिया, देकर चाह दुलार खर्च कर रहा हूँ
Read Moreभाव-सार के बिन नहीं, होता हृदय विभोर। थोड़े दोहाकार है, ज्यादा दोहाखोर।। — मन में मैल भरा हुआ, होठों पर
Read Moreकभी न हारे जंग में, अपने सैनिक वीर। शासन का रुख देखकर, सेना हुई अधीर।। — घर से रहकर दूर
Read Moreसूरज आतिश बन गया,तपे नगर औ” गांव ! जीव सभी अकुला उठे,ढूंढ रह सब छांव !! सूरज का आक्रोश है,बिलख
Read Moreकिए हैं त्याग सदियों से यही बस काम पाया है सदा सहना औ चुप रहना यही मेरे नाम आया है
Read More1 मई अन्त. मजदूर दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे दुनिया के हर काम को,देते सदा अंजाम।
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