मुक्तक
असफलता पै नसीहतें नश्तर सा लगता है स्याह गुजरता पल शैल-संस्तर सा लगता है बढ़ाता आस तारीफ पुलिंदा अग्नि-प्रस्तर सा
Read Moreयुवा चेतना दे रहे, स्वामी जी सानंद ! था ‘विवेक’ पाया सदा, इसीलिये ‘आनंद’ !! किये काम, सो हैंअमर, सदा
Read Moreजानता हूँ बहारों का मौसम नही वो अभी वो नही हम अभी हम नही मुश्किलें तो बहुत है मेरी राह
Read Moreबिता रहे क्यूँ व्यर्थ ही, चिंता में दिन रात। सभी चिता पर जायगें, केवल खाली हाथ॥ भाग रहा दिन रात
Read Moreमधुर आम उपवन उपज, करते सब रस पान | तिक्त करेला कटु बहुत, करता रोग निदान || काला जामुन है
Read Moreनया वर्ष आ रहा है नव उमंग के साथ। खुशी मनाने के लिए बने रहे एक साथ॥१॥ •••••••• नव वर्ष
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