बरखा नाची
बादल छाए गगन में,चली हवा पुरजोर,बरखा नाची छमाछम,धरती हुई विभोर। लाएंगे अब मेघजी,रिमझिम की बौछार ,धरती पर फिर जिंदगी,होवेगी गुलजार।
Read Moreवक्त ने नहीं कद्र किया वक्त के बादशाह का,जिल्लत सह न दिया जवाब भद्रों के गुनाह का,वक्त देखो बदला कैसे
Read Moreनेता कुर्सी पर लदा,सुख का करता भोग।नेता जन के तंत्र का,बहुत बड़ा है रोग।। नेता से वादे झरें,बाहर आता झूठ।खड़ा
Read Moreवन जब तक,तब तक यहाँ,हवा मिलेगी ख़ूब। वरना हम सब पीर में,जाएँगे नित डूब।। वन का रहना है हमें,सुख का
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