मुक्तक/दोहा

मुक्तक – होली का हुड़दंग

हास्य-व्यंग्य के संग, मचायें होली का हुड़दंग, अबिर-गुलाल उड़ाकर छेड़ें, प्रीति-प्यार की जंग। गुझिया खाकर, पिएं मिलाकर ठंढाई में भंग, ‘भान’,चलायें भरि पिचकारी, विविध काव्य के रंग।। — उदयभान पाण्डेय ‘भान’

मुक्तक/दोहा

लगे गुलाबी धूप

फागुन में हैं गुण भरे, लगे गुलाबी धूप। सघन शीत में था बुझा, सुंदर निखरा रूप।। जमे दिवस घुलने लगे, मिला फाग का ताप। खुशियाँ बिखरी गेह में, दूर हुए संताप।। राह ताकती कामिनी, खड़ी बिछाये नैन। तप्त देह ज्यो नेह जल, मिले पिया सुख चैन।। आलस के दिन आ गये, है अलसाई देह।। धूप […]

मुक्तक/दोहा

मुक्तक

मेरे गीतों में छिपा है जीवन, मत इनको तुम मौन करो, गीतों में जीवन का दर्शन, मत इनको तुम गौण करो। मौन मुखर हो जाते जब जब, राह दिखाते जन जन को, मृगतृष्णा में भटका मानव, दिशा दिखाते कुछ शौण करो। विलुप्त हो रहे संस्कारों का, सार मिलेगा गीतों में, भटक रही युवा पीढ़ी को, […]

मुक्तक/दोहा

दोहे – जीवन रंगों से बना

फगुवारों के दल सजे, नेह लुटाती फाग। चौपालें खुश हो झूमतीं, नाचें कोयल काग।। जन-जन का मन मोहते, होली के शुभ रंग। बजे मँजीरा ढोल अब, शहनाई मुरचंग।। जीवन रंगों से बना, रंग महकते खूब। आंखों को है शोभती, मृदुल दूधिया दूब।। मान रंग का हम रखें, रंग बने पहचान। रंगों से हैं जब सजे, […]

मुक्तक/दोहा

कविता गंध बिखेरती

कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता गंध बिखेरती, कविता है जलजात। बिन कविता के जग लगे, श्वास रहित ज्यों गात।। गीत सोरठा मनहरण, दोहा रोला छंद। चौपाई हरिगीतिका, श्रोता करें पसंद।। हिम सा शीतल शांत है, कभी धधकती आग।। विजयशालिनी अस्त्र है, कविता मन का राग।। […]

मुक्तक/दोहा

शब्दों की सुख छाँव में

शब्द सँवारे हृदय को, हरें सकल दुख पीर। मीत बनें ज्यों कष्ट में, शुष्क धरा को नीर। सघन प्रेम से जब रचें, शब्दों का संसार। सतत बहे तब जगत में, नेह नीर की धार।। शब्दों की सुख छाँव में, सदा मिले आराम। साधक को देते रहे, सिद्धि मधुरता नाम।। शब्दों से मत खेलिए, शब्द भरे […]

मुक्तक/दोहा

दोहे

ठीक कहा सबने सदा,ये है बहुत खराब जो तिहाड़ ले कर चली,वो है दुष्ट शराब बरबादी की राह का, ये करती आगाज, मन्त्री हो या सन्तरी,करती नही लिहाज कर देती है खोखला,कुछ भी बचे न शेष इस लायक छोड़े नही,दिखा सको जो फेस महंगी ये पड़ती बहुत,रोक सके तो रोक रहे कहीं का भी नही, […]

मुक्तक/दोहा

आप के धर्म युद्ध पर

जब गले की फाँस दिल तक आ गई, “आप” के चेहरे पर सिकन छा गई। घिर गये जयद्रथ कुरुक्षेत्र के मैदान में, आरोप कृष्ण पर, बाल छल पर आ गई। है अजब सी मानसिकता, धर्मयुद्ध में देखिए, अधर्म के साथ बहुत से, हैं धर्माचार्य देखिए। कोई निष्ठा से विवश, कुछ को सत्ता की चाह, मुफ़्त […]

मुक्तक/दोहा

गौरवशाली भारत

इतिहास के पन्नों से, वह इतिहास ग़ायब कर दिया, जिससे गौरवान्वित था भारत, काल ग़ायब कर दिया। इन्तिहा बेशर्मी की, किस कदर इनकी रही, सिकन्दर को महान बता, पोरस को ग़ायब कर दिया। विश्व के सारे अजूबे, आज भी भारत में हैं, हैं अनुठी कलाकृतियाँ, मन्दिर भारत में हैं। है नहीं सानी, दुनिया में जिनका […]

मुक्तक/दोहा

हमीद के दोहे

फागुन का यूँ आगमन, सारे जग को खास। होली आकर बाँटती , दुनिया में उल्लास। हिम्मत को अपनी मियाँ, रखना रोज़ जवान। कम होने देना नहीं, हरगिज़ अपनी शान। राह दिखाता नित नई, दुनिया को विज्ञान। इसके दम से हो रहे, हर दिन अनुसंधान। लज्जित करने के लिए, रहिये नहीं अधीर। होना तुमको गर बड़ा, […]