निश्चल शव सम ना बनो, डालो खुद में जान पर खोलो उम्मीद के, ऊंची भरो उडा़न।। जीत गए हारे हुए, सीखो उनको देख कर्मों से बढ़कर नहीं, है किस्मत की रेख।। कब तक बनकर के लता, ढूंढोगें अवलंब खुद की जडे़ जमाइये, करिये नहीं विलंब।। कठिन परीक्षा से भरा, जीवन इक संघर्ष निखरो तुम बन […]
मुक्तक/दोहा
मुक्तक
आत्मा बदलती वस्त्र, जीर्ण शीर्ण हो गये, कुछ वक्त के थपेड़ों से, चीर चीर हो गये। भाते नहीं मन को कुछ, वह भी बदल लिए, उलझ कर कंटकों में जो तार तार हो गये। जीर्ण शीर्ण वस्त्र होते, हम स्वयं त्यागते, कंटकों में फट गये, क्यों फटे विचारते? खो गये यहाँ वहाँ, दुख हमको सालता, […]
पेड़ के दोहे
पेड़ काटने चल दिए ,देखो मूरखराज ,छाँह राह में खोजते ,आवत नाही लाज। दस पेड़ों को काट के ,लगा रहे इक पौध ,उनके प्रकृति प्रेम पे ,खुश है मनुज अबोध। पेड़ काट रहे हर तरफ ,चिड़िया करती शोर ,कहाँ रहेंगे हम बता ,ओ मानव घनघोर। पेड़ काटना पाप है ,सुन ले मनुज सुजान ,बड़े पुण्य […]
हमीद के दोहे
जनता को देते सदा, बातों की सौगात। जनता की सुनते नहीं, कहते मन की बात। उन चीज़ों पर हो रहा, जमकर अब आघात। जिनके कारण हम रहे, दुनिया में विख्यात। जिन मुद्दों पर सोनिया, सजा रहीं दरबार। उन मुद्दों को भोथरा, करते शरद पवार। आम आदमी के नहीं, रहते जो विश्वस्त। सूर्य उनके उरूज का, […]
पुस्तक
पुस्तक अंबुधि ज्ञान का, डूबें सौ सौ बार। गहरा जाके देखिए , मोती मिलें हजार।। पुस्तक निर्मल नीर सी, धुलती मन के दोष। जीवन का उपवन खिले,महके मानस कोष।। पुस्तक है सहगामिनी, संचित उच्च विचार। पग पग रखती ध्यान है,भरती अंतस प्यार।। मानव जीवन के लिए, पुस्तक सुधा समान। जिज्ञासा संग सीखता, करता अनुसंधान।। पुस्तक […]
दोहे “हिन्दी का उत्थान”
दोहे “हिन्दी का उत्थान”—साधक कभी न हारता, साधन जाता हार।सच्ची निष्ठा से मिले, जीवन का आधार।1।—लगे हमारे देश में, रोटी के उद्योग।आते टुकड़े बीनने, यहाँ विदेशी लोग।2।—दुःख और अनुराग की, होती कथा विचित्र।लेकिन होते मनुज के, ये दोनों ही मित्र।3।—जनता की है दुर्दशा, जन-जीवन बेहाल।कूड़ा-करकट बीनते, भारत माँ के लाल।4।—खाली गया न आज तक, कभी […]
दोहे- सांसों में आलाप
भीतर सरगम तप रही सांसो में आलाप सूरज अब करने लगा अंगारों का जाप।। धूप अभी ऐसे चुभे जैसे होए बबूल जिस्मों को है भेदती किरणें बनकर शूल। फूलों के रंगत उड़ी कंचन देह निढाल तितली बैठी ओट में अपने पंख संभाल । नमी चुराती अब हवा बेसुध, सारे पात नव पल्लव के टूटते नरम […]
सूरज देखे नेह से
सूरज इनके साथ है , चंदा उनके हाथ । हमको तो तारे भले , रहे सदा सिर-माथ ।।1 भँवरों ने गाये बहुत , जब कलियों के गीत । कली-फूल उनके हुए , काँटे अपने मीत।।2 कोयल कूके बाग में , सजे आम पर बौर । ये सुधियों की तितलियाँ , करें हृदय में ठौर।।3 सूरज […]
धरती पोषण दे हमें
सागर निर्झर सर नदी, धरती सुंदर रूप। रखें धरा को नम सदा, झील बावली कूप।। धरती पर उगते रहे , वृक्ष झाडियाँ बेल। प्रकृति सुंदरी रच रही, रुचिर नवल नित खेल।। उर्वर वसुधा है कहीं, कहीं उड़े है रेत। बंजर पथरी रेणुका, कहीं झूमते खेत।। धरती पोषण दे हमें, करती सदा निहाल। वन उपवन कानन […]
नव संवत्सर के दोहे
संवत्सर आया नया,गाने मंगल गीत । प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत ।। उसकी ही बस हार है,जो माना है हार । साहस वाले का सदा,विजय करे श्रंगार ।। बीते के सँग छोड़ दो,मायूसी-अवसाद । दो हज़ार अस्सी सुखद, धवल,कर देगा आबाद ।। खट्टी-मीठी लोरियां,देकर गया अतीत। वह भी था अपना कभी ,था प्यारा […]