हमीद के दोहे
जनता को देते सदा, बातों की सौगात। जनता की सुनते नहीं, कहते मन की बात। उन चीज़ों पर हो रहा,
Read Moreजनता को देते सदा, बातों की सौगात। जनता की सुनते नहीं, कहते मन की बात। उन चीज़ों पर हो रहा,
Read Moreदोहे “हिन्दी का उत्थान”—साधक कभी न हारता, साधन जाता हार।सच्ची निष्ठा से मिले, जीवन का आधार।1।—लगे हमारे देश में, रोटी
Read Moreभीतर सरगम तप रही सांसो में आलाप सूरज अब करने लगा अंगारों का जाप।। धूप अभी ऐसे चुभे जैसे होए
Read Moreसूरज इनके साथ है , चंदा उनके हाथ । हमको तो तारे भले , रहे सदा सिर-माथ ।।1 भँवरों ने
Read Moreसागर निर्झर सर नदी, धरती सुंदर रूप। रखें धरा को नम सदा, झील बावली कूप।। धरती पर उगते रहे ,
Read Moreसंवत्सर आया नया,गाने मंगल गीत । प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत ।। उसकी ही बस हार है,जो माना
Read Moreछल-बल में क्या रखा,ये लाते दुष्परिणाम। पतन सुनिश्चित ये करें,हैं दुख के आयाम।। छल-बल मात्र प्रपंच हैं,बचना इनसे आज। वरना
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