कविता गंध बिखेरती
कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता गंध बिखेरती, कविता है जलजात।
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Read Moreशब्द सँवारे हृदय को, हरें सकल दुख पीर। मीत बनें ज्यों कष्ट में, शुष्क धरा को नीर। सघन प्रेम से
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Read Moreइतिहास के पन्नों से, वह इतिहास ग़ायब कर दिया, जिससे गौरवान्वित था भारत, काल ग़ायब कर दिया। इन्तिहा बेशर्मी की,
Read Moreफागुन का यूँ आगमन, सारे जग को खास। होली आकर बाँटती , दुनिया में उल्लास। हिम्मत को अपनी मियाँ, रखना
Read Moreइश्क की इश्क से बात होने लगी, दिन सुहाने हसीं रात होने लगी। वो नज़र से कभी दूर हटती नहीं
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