“मुक्तक”
कीर्ति (वर्णिक) छंद विधान – स स स ग मापनी- 112 112 1122 मुक्तक” मुरली बजती मधुमाषा हरि को भजती
Read Moreछंद- वाचिक सोमराजी (मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी- लगागा लगागा, 122 122 “सोमराजी छंद” मुक्तक या राम माया। मृगा हेम भाया। छलावा
Read More(1)सदियों से इस देश में, मरता रहा किसान। कितनी सस्ती है यहाँ,देखो इनकी जान। (2)कर्ज तले डूबा रहा,निर्धन हुआ किसान।
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