मुक्तक
भरे जो मेघ नैनों के, बरसना भी जरूरी था गिले शिकवे दिलों में थे, गरजना भी जरूरी था सहजता से
Read Moreलड़ता रहा मौत से प्रतिपल, किंचित ना भयभीत हुआ। सत्ता और विपक्ष भी जिसका, निष्ठा से मनमीत हुआ। देह त्याग
Read Moreसमय का पहिया चलेगा जब तक, अटल अटल था अटल रहेगा। छोड़ दिया देह मगर अब, जीवन दर्शन अटल रहेगा।
Read Moreअटलबिहारी दिव्य थे, सचमुच ही थे ख़ास ! अद्भुत थे,दैदीप्य थे, ऊंचे ज्यों आकाश !! कर्मवीर,सचमुच अटल, था चोखा अंदाज़ ! हर दिल,हर
Read Moreआजादी का पर्व है, .. झूम रहा है देश ! इसका होना चाहिए, सबको गर्व रमेश ! ! आजादी है
Read Moreअंतर्मन में घुल गया,विष बनकर आघात ! सुबहें गहरी हो गयीं,घायल है हर रात !! धुंआ हो गयी ज़िन्दगी,हुई ख़त्म
Read More5-8-18 मित्र दिवस के अनुपम अवसर पर आप सभी मित्रों को इस मुक्तक के माध्यम से स्नेहल मिलन व दिली
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