शिव स्तुति
शिव आदिनाथ, शिव नील कंठ,रखे शीश गंग , सजे चन्द्र माथ।प्रभु दीन हीन जड़ सबके नाथ,पशु प्रेमी शिवजी पशुपतिनाथ। कर
Read Moreशिव आदिनाथ, शिव नील कंठ,रखे शीश गंग , सजे चन्द्र माथ।प्रभु दीन हीन जड़ सबके नाथ,पशु प्रेमी शिवजी पशुपतिनाथ। कर
Read Moreघिर घिर बदरी छाई, अंबर से बरसे बूंदों की फुहार,मन भावन ऋतु बरखा लाई, सावन में अमृत की बहार,“आनंद” मग्न
Read Moreऔघड़दानी,हे त्रिपुरारी,तुम प्रामाणिक स्वमेव ।पशुपति हो तुम,करुणा मूरत,हे देवों के देव ।।श्रावण में जिसने भी पूजा,उसने तुमको पाया।पूजन से यह
Read Moreमहामाया,गौरवर्ण लिए मुख पर कांति महागौरी शीतल मन सकल हैं, शांति अष्टम रुप महागौरी । चतुर्भुजा,वृषभ सवारी आलौकिक सिद्धि शक्ति श्रीफल का नैवेद्य प्रिय देती
Read Moreसप्तमस्वरूप भयानक धरा माँ कालरात्रि त्रिनेत्रा, चमकीली मालाधारी माँ कालरात्रि । आधि-व्याधि से जलती काया को तृप्त करें दैत्य – दानव
Read Moreरुप सौन्दर्य लिए अद्वितीय आभा स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता । चार भुजा कमलासन पर विराजे पुत्र नाम से कहलाई
Read Moreघर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,रूप माता की देखो कैसे निखरीशोभे है
Read Moreतुम महामंत्र, पावन सुधा सी तुम हो जीवन की संजीवनी । योग साधना में हुई लीन जब कहलाई तुम माँ
Read Moreमातु शारदे नमन् कर रहा,तेरा तो अभिनंदन है। ज्ञानमातु,हे हंसवाहिनी!,बार-बार पग-वंदन है।। वाणी तुझसे ही जन्मी है,तुझसे ही सुर बिखरे
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