तुम….
तुम! जो समझते हो अपने आपको सबसे अधिक बेचारा। तुम, जो व्याकुल हो कि तुम्हे नही मिला, रहने को, एक
Read Moreपीकर शराब इंसान शैतान बन गया था, छोड़कर ईमान युवा हैवान बन गया था। नोचा था बदन मिलकर, मार कर
Read Moreजागने को तो जागे हुए हैं सभी पर अँधेरे में हैं ढूंढते रौशनी दर बदर खाते रहते हैं जो ठोकरें
Read Moreउडी़ ख़बर कि शहर रोशनी में डूबा है गया क़रीब तो देखा कि महज़ धोखा है बडे़ घरों की खिड़कियाँ
Read Moreएकदम सही ये जुर्म के खिलाफ हुआ है छुपा न कुछ भी पूरा साफ साफ हुआ है दक्षिण की खबर
Read Moreहै कोई जवाब तुम कहते हो आजकल बहुत बढ़ गई है बेशर्मी शर्म हया तक बेच खाई है नहीं रह
Read Moreकभी छू कर,देखूं तेरी रूह को तो मुझे भी सुकून मिले, कि तू मेरा हैं जिस्म से नहीं रूह से।
Read Moreजिसके दिल में सौम्य सुभाषित सपन सलोना हो। जिसके दिल में बेहिसाब हर पाना – खोना हो।। ऐसे दिल के
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