ग़ज़ल
वह मेरे साथ है ….पर गैरो के मुक़ाबिल है .. मेरा महबूब भी दुश्मनों की तरह काबिल है । जान
Read Moreबीज मनमुटावों के अब बोना नहीं चाहता रिश्तों को अब गमों से भिगोना नहीं चाहता खो दूं भले कोई चीज
Read Moreमैं’ को पाने की चाहतों में जाने कब ‘मैं’ भी ‘तुम’ हो गया! ‘मैं’ की तलाश में मेरा अस्तित्व जाने
Read Moreदेखो मन झूमे, ऋतु बसंत आने को है आमों पे बौर, खेतों में सरसों छाने को है मन झूमे तरंगिनी
Read Moreखिले टेसु जैसे कि षोडशी की तरुणाई सी। रूत हुई महुआ सी, जिंदगी फिरे बौराई सी। रितुराज के स्वागत में
Read Moreमन की व्याकुलता का व्यापार किया जाए,सपनों के पनघट पे। जीवन में फिर चेतना का संचार किया जाए,सपनों के पनघट
Read Moreघुला मौसम-ए-रंग बसंती बसंती, उसपे हवाओं की ये शोख मस्ती, खुदा की कसम ये हसीं यूं न होती, अगर इसमें
Read Moreउनकी आंखो में छलकता हुआ पैमाना है बाख़ुदा दिल भी उसी मय का तो दीवाना है यूं तो रहते हैं
Read Moreअरे भाई ! रुकना जरा समय क्या हुआ ? थोड़ा जल्दी पहुंचना था व्यस्तता के कारण आभास ही न रहा
Read Moreआजकल हक़ीकत ख्वाबों से निकलकर, पूछती कहाँ है…? किस ओर जा रहे हो, और जाना कहाँ है…? हर शक्स परेशान
Read More