“मनहरण घनाक्षरी”
नमन करूँ प्रभु जी, पूरण हो काज शुभ, सेवक हूँ मैं आप का, शिल्प तो सिखाइये विनती है परमात्मा, पुकारती
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Read Moreकोयल का गीत भीषण उष्णता के बीच सूरज के तेवर भी जहाँ रोक न सके कोयल की कूक वह हर
Read Moreजहां में चाहे गम हो या खुशी क्या मेरे मा – बैन रंजिश दोस्ती क्या खुदा मुझको यकीं खुद पे
Read Moreरो रहा है देश मेरा आँसू पोछनी चाहिए देश के अंदर फिर से क्रांति चलनी चाहिए। चारो तरफ लूट मार
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