ग़ज़ल
वो जान तो गया, मुझे पहचान तो गया,कुछ देर के लिये वो कहा मान तो गया। थोड़ी लगी है देर
Read Moreजनता से उसका रिश्ता खास है,वह सबको बरगलाने में उस्ताद है,भले आदत से लाचार है,पर बहुत ही जिम्मेदार है,जिम्मेदारी भरपूर
Read Moreसुनो शिक्षकोध्यान से सुनोबच्चों के पास जाने से पहलेफेफड़ों से निकाल फेकोंठहरा धुंआ और बासी हवाऔर बहा दो किसी नदी
Read Moreमासूमियत से जवाब देते हुए,उम्मीद थी कि कुछ सुकून मिलेगा यहां।तक़दीर बदलने में,कुछ हमदर्दी जताते हुए,कुछ सुकून मिलेगा यहां। बेदर्द
Read Moreचांदनी तारों से सजी खुशनुमा सी लगती है,रात के सन्नाटे में पायलें ज़ोर से ख़नकती हैं, इंतेज़ार की तुमने तो
Read Moreसाथ भले ही आज नहीं हो, साथ की यादों में जीता हूँ।पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे
Read Moreहे प्रभु ! दया करोमन मेरा भटकाइसको सुधारो । जीवन निरर्थक लगताघोर अशांति छायीप्रभु तुम बिन सबसूना-सूना लगता । हे
Read Moreयही वजह है यहां,सब प्यार और प्रेम से भरी हुईहंसती मुस्कुराती जिंदगी में,उम्मीद करते हैं यहां। नजदिकियां बढ़ाने में,सब लोग
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