कहें सुधीर कविराय
****** लगाव ********* अब लगाव दिखता कहाँ, अपने अपनों बीच। ठना कुटुंबी रार है, होती खीचम-खींच।। हम लगाव की बात
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Read Moreमहाकुम्भ में मोनालिसा की,महकती-सी मुस्कान,चंदन-रुद्राक्ष-मोती माला बेचती,बड़ी अनोखी शान। खूबसूरत ग्रीवा वाली,लहराते हुए बड़े-बड़े झुमके,हिरनी-सी आंखों वाली,तनिक नहीं शर्माती,बात करते
Read Moreमन की पतंग ऊंची उड़ना चाहे,जिधर चाहे उधर ही मुड़ना चाहे,देखो तो मगर पतंगकीउड़ान,अपनों से ही हरदम जुड़ना चाहे!अपने तो
Read Moreपतंगकी उड़ान देख,पतंग-सी उड़ने की चाह,कैसे उड़ सके मगर वह,मिल न सके कोई राह!बेटा होती तो कोई बाधा नहीं,उसकी तो
Read Moreदेखती हूँ जिसे बंद पलकों से मैं,एक धुंधली सी तस्वीर वो मेरी है,बंद करने वाले हाथ भी नहीं मेरे,शायद यही
Read Moreमाघ मास की पावन तिथि अमावस्या,जनप्रचलित कहते है मौनी अमावस्या,यह तिथि है अत्यंत ही शुभ फलदायक,पुण्यदाई, संकटनिवारणी, लाभदायक । वाणी
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