तितली और फूल
तितलियां अठखेलियां करतीभ्रमर गुंजार करते हैंपराग – कण चखने के लिएफूलों पर मंडराते हैं ।फूल – महकाते हैं जीवनसहजीवी पर
Read Moreतितलियां अठखेलियां करतीभ्रमर गुंजार करते हैंपराग – कण चखने के लिएफूलों पर मंडराते हैं ।फूल – महकाते हैं जीवनसहजीवी पर
Read Moreप्रकृति की पुकारमुझे दो दुलारन करो मेरा संहार ।मैं सदा देती हूंतुम पर उपहार लुटाती हूंसंसाधनों की संपत्ति सेतुम्हें मालामाल
Read More(हमारे गुप्तचर जो विदेश में हमारे देश के लिए बलिदान हो जाते हैं उन के प्रति) नमन मेरा उस सेनानी
Read Moreहास्य – यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान सचमुच मित्र क्या होता है?यह पूरी तरह मैं आज ही समझ पाया,गुस्से
Read Moreहर आदमी त्रस्त बोलती उसकी है बंद आवाज उसकी दबा दी जाती खोलता जब भी वह जुबान है बाहर भले
Read Moreअभी अभी मेरे मित्र यमराज पधारेखुश इतना थे जैसे तोड़ लिए हों चाँद तारे।मैंने हमेशा की तरह प्यार से बिठाया,
Read Moreऐ मृत्यु! तू इतना सकुचाती क्यों है?पास नहीं आती क्यों है?क्या गिला शिकवा शिकायत है हमसे?जो रुठी हुई दूर रहती
Read Moreहां सोच समझकरहोशोहवास में रहकर रहा हूं गलती,मैं नहीं कहूंगा कि नादान हूं,मुंह बांये खड़ी परिस्थितियों सेहद दर्जे तक परेशान
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