मां का आंचल
कभी धूप में छांव बन जाती है, कभी पसीने में रूमाल बन जाती है, थाम लो जो एक बार इसे,
Read Moreकभी धूप में छांव बन जाती है, कभी पसीने में रूमाल बन जाती है, थाम लो जो एक बार इसे,
Read Moreइतना भी न डराइए की, हम डरना ही छोड़ दें। हम उनमें से भी नहीं हैं, जो डर से जीना
Read Moreभटक रहा हूँ गली गली मोहल्लों में ढूंढ रहा कोई ऐसा घर रहता हो न जिसमें कोई हिन्दू कोई मुस्लिम
Read Moreदोस्तों के साथ उठना बैठना गप्पें लड़ाना सुबह की सैर पर निकलना ठहाके लगाना पार्क में बैठ कर पुरानी बातों
Read Moreजीवन की बस यही कहानी। रंक बनें या राजा रानी।। रोम-रोम हो जाय प्रफुल्लित। अगले क्षण भ्रम करता विस्मित।। कभी
Read Moreजीवन का आधार है जल, हर पल रखें उसे निर्मल। बिन जल के जीवन नहीं होता, मानव के पापों को
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