कविता – हाय कोरोना
हाय कोरोना हाय कोरोना दुनियां सारी चिल्लाती, चारों ओर मचा है रोना दुनियां सारी कांपी जाती । कोरोना से बचना
Read Moreहाय कोरोना हाय कोरोना दुनियां सारी चिल्लाती, चारों ओर मचा है रोना दुनियां सारी कांपी जाती । कोरोना से बचना
Read Moreपेड़ों ने अपना श्वास तोड़ा तो, इंसान अपने प्राण भूल गया। यहां बढ़ती बदहाली को कौन समझे? जो समझे उसी
Read Moreसमय के साथ शिक्षा,सुविधा,आधुनिकता ने मति को क्षतिग्रस्त करना प्रारंभ किया, बढ़ती तकनीकी सुविधाएं हमें आलसी बना रहीं, हमें बीमार
Read Moreबहुत आसान है बड़े से बड़े ग़म में औरों को समझाना ढाँढस बँधाना, जीवन चक्र और दुनियादारी बताना, शब्दों के
Read Moreसम्पूर्ण जगत की महिलाओं के आदर्श देवी ‘सीता’ माता…. हर घर की सोच है, सीता जैसी बेटी और बहू मिले,
Read More“मम्मी, सच्चाई क्या होती है ?” “जैसे- ‘हमाम’ साबुन !” हमाम यानी जहाँ सब जने नंगे रहते हैं ? ××××
Read More‘मधुशाला’ खोलकर सरकार ‘राजस्व’ की उगाही भले कर ले, पर वे शराबियों को लॉकडाउन तोड़ने और कोरोना पॉजिटिव करने का
Read Moreअरे! बीते हुए कल बेफिक्र होकर मत घूम। तुमसे अपने हर दर्द का हिसाब लूंगा । अरे! बीते हुए कल
Read More