बिन सावन कैसी बरसात !
मौसम ने ली है बेमौसम की करवट, रंग बदलने में मार खा रही है गिरगिट, कभी धूप कभी छाया
Read Moreमौसम ने ली है बेमौसम की करवट, रंग बदलने में मार खा रही है गिरगिट, कभी धूप कभी छाया
Read Moreयादों के झरोखों में मिलकर तैरते रहेंगे, यादों रूपी दरिया में डुबे तो खो जायेंगे,। मिलने की कोशिश करते रहना
Read Moreकड़ी धूप में, चल रहा है अकेला। आँखों के सामने, हो रहा है अँधेरा। मन चंचल, भारी हो रहा है
Read Moreबादल का नन्हा -सा कतरा हवाओं के संग फ़िज़ाओं का ले रंग बारिश की महक से गमकता सरकता वर्षा बूंदों
Read Moreसुनो! तुम्हे लगता है न! स्त्री चार दीवारों के भीतर ज्यादा अच्छी लगती है,.. मुझे स्वीकार है तुम्हारी ये पसंद,..
Read Moreलज्जा है तुम्हारा घूँघट संकोच है तुम्हारा गहना मौन रह कर आता है तुम्हें प्यार भरी बातो को कहना
Read Moreछिटकी है चांदनी अम्बर में सितारों के नूर से भरी बह रही है एक और मंदाकनी बादलों की ओट
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