कविताएँ
1. गाँवों में माएँ अब सुबह-सुबह ही धुप को छत से उतार कर आँगन के किसी कोने में रख देती
Read Moreखुद में विश्वास की नींव मजबूत कीजिए, अपने पुरुषार्थ पर यकीन कीजिये। भाग्य तो सिर्फ़ मन बहलाने का साधन मात्र
Read Moreउठाकर नजर देखता रहा मैं मक्खन चट गया, उल्टी पड़ी मटकी उदास सी आज फिर आँगन में | आकर अम्मा
Read Moreमाँ तू हर जगह है रसोई में, रसोई के डब्बों में, मसालों में, लोहे की कड़ाई में, माँ तू हर
Read Moreमैं विकलांग नहीं हूँ यार हिम्मत मेरी अटूट है इरादे भी मजबूत है चुनौतियों का मेरा संसार मैं विकलांग नहीं
Read Moreशहरों से हो रही हरियाली गायब जिंदगी से खुशहाली है गायब ईयरफोन बन गया है कानों का गहना जिससे कानों
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