मेरी बस्ती में
लफ्जों को मेरी खबर नहीं है , आँखों में तेरी मञ्जर नहीं है , रब है मन मे तो कहर
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Read Moreएक स्त्री से… प्रेम, वात्सल्य, स्नेह, करुणा.. मौन, मधुरता, सौंदर्य, सौम्यता.. त्याग, समर्पण, वफादारी, नम्रता.. संतुलन, दक्षता और सम्पूर्णता.. सब
Read Moreइस लॉक डाउन के मौसम में मुझ से दुखी है मेरा बिस्तर उससे इतना मोह हो गया नहीं छूटता मुझसे
Read Moreदेखो-देखो कायर भाग रहा है दुनिया की निगाहों में भला क्या है बुरा क्या, ये बोझ अगर दिल से उतर
Read Moreकविता – वाह रे , कोरोना ! वाह रे , कोरोना ! तूने तो गजब कर डाला , छोटी सोच
Read Moreअनुचरी बन घूमती है घर लौटी मजदूरन प्यार से वंचित व्यथित केवल देह मात्र होकर जुट जाती है घरेलू कामकाज
Read Moreविचारों के अथाह सागर में लहराते हुए विचार अपने लिए कुछ अरमानों के संग संसार में सफ़र पर निकलते हैं
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