वागीश्वरी सवैया
वागीश्वरी (सात यगण+लघु गुरु) सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/12, 23 वर्ण “वागीश्वरी सवैया” उठो जी सवेरे सवेरे उठो जी, उगी लालिमा
Read Moreवागीश्वरी (सात यगण+लघु गुरु) सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/12, 23 वर्ण “वागीश्वरी सवैया” उठो जी सवेरे सवेरे उठो जी, उगी लालिमा
Read Moreबिरयानी मुफ्त में बंट रही है, कही शराब कट रही है, शायरी अदांज बिक जाते है लोकतंत्र का मजाक उडा़ते
Read Moreबीते समय की सुख कड़ियाँ चलचित्र सी चित मे चलती है अब दृगजल बन वह मधु स्मृति अनायास नयन से
Read Moreभ्रमर कहे कुसुम के कानों में करती हो तुम हमसे प्रेम निच्छल, पर मैं तो हूं बादल एक आवारा ठहरे
Read Moreआओ मिलकर रच दें नया इतिहास खिल उठी है जुगलबंदी की बगिया, रंग दिखने लगे हैं बढ़िया बढ़िया, बहुरंगी का
Read Moreजलती दोपहर में एक मां अपनी बच्चा को पीठ पीछे बाधंकर खेत में तन को जला रही है, मौसम सख्ती
Read Moreतेरे दिल की तन्हाई मे मेरा दिल भी रोता है, तुझसे मै ये कैसे कह दूं रातो को ना सोता
Read More