बेटियां
अपने गांव का दिखे या ख़बर हो खुश होती है बेटियां बिदाई के समय रुलाती है बेटियां मोबाइल बेटी का
Read Moreपृथ्वी की प्रकृति पृथ्वी की इस प्रकृति ने दिया है हमें जीवन दान पृथ्वी की मिट्टी के हर कण ने
Read Moreमासूम चेहरा मस्त अदाएं एक बार देखे तो जी भर जाये ऐसा है मेहबूब मेरा होठ गुलाबी नयन शरबती गाल
Read Moreओ३म् –राष्ट्रकवि एवं ऋषिभक्त डॉ. सारस्वत मोहन मनीषी की नई पद्य रचना- डॉ. सारस्वत मोहन मनीषी जी निष्ठावान आर्यसमाजी एवं
Read More“विधा-छंदमुक्त” रूठकर चाँदनी कुछ स्याह सी लगी बादल श्वेत से श्याम हो चला है क्या पता बरसेगा या सुखा देगा
Read More“छंद मुक्त काव्य” अनवरत जलती है समय बेसमय जलती है आँधी व तूफान से लड़ती घनघोर अंधेरों से भिड़ती है
Read Moreजीवन के आपाधापी में, यह सोच न पाया कि जीवन क्या है? क्या बुरा किया क्या भला किया, कैसे बीत
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