मेरा रंग दे बसंती चोला
चाह नहीं मैं पन्नों पर अंकित हो इठलाऊं, चाह नहीं मैं सात सुरों में सजकर इतराऊं, चाह नहीं मैं काव्य
Read Moreचाह नहीं मैं पन्नों पर अंकित हो इठलाऊं, चाह नहीं मैं सात सुरों में सजकर इतराऊं, चाह नहीं मैं काव्य
Read Moreरंगोत्सव पर प्रस्तुत छंदमुक्त काव्य…… ॐ जय माँ शारदा……! “छंदमुक्त काव्य” मेरे आँगन की चहकती बुलबुल मेरे बैठक की महकती
Read Moreअरविंद सवैया[ सगण ११२ x ८ +लघु ] सरल मापनी — 112/112/112/112/112/112/112/112/1 “अरविंद सवैया” ऋतुराज मिला मधुमास खिला मिल ले
Read Moreकौन है ये चौकीदार किसे कहते है चौकीदार यह सिर्फ एक नाम नहीं एक पहचान है आत्मसम्मान है देश की
Read Moreनदियां भी तो चलती है पिघलती है उद्गम से निकलती है पहाड़ों से गिरती है रास्ते ऊबड़ – खाबड़ है
Read Moreगौर से सुनिए कि है यह मेरी आत्मकथा सभी को लगेगी यह उनकी अपनी व्यथा मैं द्रुपद-पुत्री नाम है मेरा
Read Moreशौर्य त्याग बलिदान की कहानी लिखेंगे हम हिन्द के निवासी हिंदुस्तानी लिखेंगे। जो कर गए प्राण निछावर अपने देश के
Read Moreदिन ढल गया देखो आई शाम कितनी सुहानी सूरज की रक्तिम लाली भी छिप गई देखो बादलों के पीछे धीरे
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