नेत्रदान
है व्यर्थ इस काया का गर्व करना, है क्षणिक जीवन मिट्टी में मिलना। है न तेरा न मेरा बेकार का
Read Moreआज बैठी जब मैं फुर्सत में कुछ देर कर ली जिन्दगी से मुलाकात बहुत नाराज़ थी जिन्दगी शायद उदास थी
Read Moreभारती की आन पे वो, आज मिटने को चला हाथ में शमशीर लेके, काटने रिपु का गला पूजता है वो
Read Moreबचपन का संसार बड़ा सजीला रंग रंगीला खेल खिलौनो का संसार | बचपन मे हम खेला करते , गुड्डे गुड़िया
Read Moreक्यों? राख हथेली पर रखूँ सवाल करूँ हल्के फुल्के उलझे अपनों से अभी राख चंद मिनटों में उड़ जाएगी या
Read Moreप्रसन्नता की प्रतिमा थी वह, या खुशियों का गुलदस्ता, लगी सोचने क्या क्या हो सकता, नाम सुघड़ सुकुमारी का. बड़ी-बड़ी
Read Moreशहर को हुए तो गांव से भी गए, इक पक्की छत की तलाश में पेड़ों की छाँव से भी गए,
Read More