“पद”
कोयल कुहके पिय आजाओ, साजन तुम बिन कारी रैना, डाल-पात बन छाओ।। बोल विरह सुर गाती मैना, नाहक मत तरसाओ
Read Moreआखिर क्यों ,कब तक , हमको कोसोंगे आप , कसूर क्या है हमारा ???? हम सैनिक है शायद, यही बड़ा
Read Moreआज बरसों बाद लौटी हूँ अपने शहर में मुझे याद आता है मेरा बचपन इस शहर में वो ओस की
Read Moreफिर आ गया इक्कीसवीं सदी का दर्द में डूबा नव वर्ष वृक्षों पर उमंग नहीं अंतस में छिपा है बिछड़े
Read Moreकविता से मेरा कभी भी कोई नाता न था थोड़ा पढ़ना-लिखना भले ही मुझे आता था कभी खुशी में तो
Read Moreढलती हुई ये साँझ,लिका छुप्पी खेलते तारे,चाँदनी को भर,आगोश में अपने,चिड़ा रहा था,चंदा भी! ऐसी ही भीगी-भीगीचांदनी रात में,मिले थे
Read Moreयहाँ है स्वर्ग यहीं आनन्द। यहीं है जीवन का मकरन्द।। दिया तुमने ही जब यह ज्ञान। हृदय में बसकर हे
Read Moreनए साल! तुम जल्दी आना ।संग में अपने खुशियां लाना ।। छोड़ दिए हैं काम अधूरे उसको पूरे करके जाना ।स्वप्न
Read More