“पिरामिड”
वो वहाँ तत्पर बे-खबर प्रतीक्षारत मन से आहत प्यार की चाहत आप यहीं बैठे हैं॥-1 है वहाँ उद्यत आतुरता सहृदयिता
Read Moreपूज्य हैं जो किसी के लिए हैं निरर्थक वे किसी के लिए पर वे ही प्राणी पीड़ित समझ सुख –
Read Moreएक अनजाना सा चेहरा कुछ धुंधला, कुछ अस्पष्ट सा लिपटा रहता है साये की तरह हर वक्त हर पल है
Read Moreनशे में झूमता हुआ नींद में उंघता हुआ बदहवास सा बेकाबू हुआ शहर जाने कहां को दौड़ता शहर अधनंगी सी
Read Moreरोशनी कब कहाँ किधर से आएगी। जलेगी जब मेरी खोली ये तभी नजर आएगी।। अंधेरो में चलना भी अंधेरा ही
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