आधुनिकता..
बदलते समय में आने लगी है रिश्तों में नयापन… भुलाने लगे हैं लोग संस्कारों की अहमियत मिटने लगी है लाज,
Read Moreबदलते समय में आने लगी है रिश्तों में नयापन… भुलाने लगे हैं लोग संस्कारों की अहमियत मिटने लगी है लाज,
Read Moreजीवन मे प्रेम कभी भी… विदा_ले_लेता_है… कभी कभी कह कर… कभी चुपचाप…! कभी आँखो मे आंसू देकर… और कभी होंठों
Read Moreजब जब दिल बेकरार होता है , कैसे कहें क्या हाल दिल का होता है ! तुम रुठ जाते हो
Read Moreआँखे छुपा लू कैसे । मुझे सब दिखता है ।। आईने की तस्वीर के पीछे क्या है मुझे सब दिखता
Read Moreछ्न्द – हंसगति ( २0 मात्रा ) शिल्प विधान — 11,9= 20 प्रथम चरण ११ मात्रा ,चरणान्त २१ से अनिवार्य
Read Moreमेरी जज्बातो को तुम कब समझ पाओ गे या समझ कर भी ना समझ रह जाओ गे क्या चाहते हो
Read Moreमन मे एक ख्याल आया है ख्यालो मे तुम आये हो तुझमे मै मुझमे तुम दूसरो के नामो से दूर
Read Moreअक्सर मौन हो जाती हुँ विचारों के उलझे प्रश्नों से जैसे मन को डसता हुआ सवाल और घायल होता जवाब
Read Moreठहराव नही अच्छा ‘मनवा’, सम्भव है, पुनः छले जाओ। स्मृतियाँ न पीछा छोड़ेंगी, चाहे तुम कहीं चले जाओ। पर तुमने
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