बाल गीत
जैसे महका , नन्दन कानन अपनी दुनिया , अपना बचपन || गिरते – उठते , फिर गिर पड़ते डगमग –
Read Moreतुम बिन कोई प्यार मुझे नहीं करता माँ | सर पे वो प्यार वाला हाथ नहीं रखता माँ | तुम
Read Moreवर्षा रानी फिर बादल के रथ पर चढ़कर आई देख दहकते सूरज जी को मंद – मंद मुस्काई | इंद्रधनुष का सतरंगी , परिधान पहन इठलाई , नीली छतरी के नीचे वह उमड़ घुमड़ कर छाई | गरज – तड़प कर के मेघों ने ऐसी धुने बजाई , खूब छमाछम नाची वर्षा , थिरके नदी तलाई | रिमझिम रिमझिम ठंडी बूंदों ने जब धार बहाई गर्मी सारी ठंडी पड़ गई , सहमे सूरज भाई | -– अरविंद कुमार ‘साहू’
Read Moreसुबह-सुबह सूरज दादा की किरण पड़ी, पड़ते ही चुन्नु-मुन्नू की नींद उड़ी, चुन्नु और मुन्नू ने ली अंगड़ाई, उठकर नानाजी
Read Moreजून माह में ठंडक पड़ती नैनीताल में गर्मी की सब अकड़ निकलती नैनीताल में लखनऊ दिल्ली पैतालीस डिग्री में झुलस
Read Moreनाच रहे थे खुशी में सारे, रिमझिम बारिश बरस रही, पर जाने क्यूं,एक कोने में, बैठी चिड़िया सुबक रही, पूछा
Read Moreपाँच साल की हुई जो सिमरन, दादा बोले चल, नाम लिखा आता हूं स्कूल में पढ लिख कर बनो सफल,
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