लघुकथा – संस्कार
सरकारी मकान दो मंजिले बने हुये थे जिनमें दो परिवार नीचे ऊपर रहते थे| नीचे रोहित और उसकी पत्नी और
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Read More“मीत बेटा, आज मुझे बुखार है, सरदार जी के काम करने नहीं जा सकता। बेटा वो मजदूरी काट लेगा, तुम
Read Moreरानी सुंदर होने के साथ साथ पढाई में भी बहुत होशियार थी वो प्रोफेसर बनना चाहती थी। लेकिन उसके मम्मी
Read Moreजुनून के बारे में हम बहुत कुछ लिखते आ रहे हैं. सच मानिए यह लिखना भी एक तरह से हमारा
Read Moreप्रीति मस्के उसका नाम था. प्रीति तो सबसे करती थी और साइकिलिंग से भी, पर उसे साइकिलिंग का मौका ही
Read Moreपोथी खोलने के बाद पुरोहित हिचकिचाने लगे। यह तय शादी बेमेल होने जा रही है। कैसे और किसे हम बताएं
Read More“सुनो जी, ये कच्चे पपीते क्यों ले आये? यहाँ घर में कोई पसंद नहीं करता।
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