ग़ज़ल
अन्वेषी राहों में जाना अच्छा लगता है।खोजबीन में कुछ पा जाना अच्छा लगता है।महक गुलाबों वाली आखिर सबके सब सूंघेंगे
Read Moreख़ामोश थी तन्हाई मेरी बुझा जख़्म दुखाया आपने।इश्क कहूॅं या मुहब्बत कहूॅं कैसा रोग लगाया आपने।। बैचेन रहा दिल यह
Read Moreभोर सुनहरी नित आती है,नव राहों को दे जाती है। सूरज की किरणों के सँग में,सपन सुहाने बरसाती है। जीवन
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