संक्रांति लोहड़ी मने
जन जीवन खुश हो रहा, हर्षित हुआ अनंग।संक्रांति, लोहड़ी मने, खुशियाँ छाई अंग।। मकर संक्रांति ये कहे, रहो सजग तैयार।हृद
Read Moreजन जीवन खुश हो रहा, हर्षित हुआ अनंग।संक्रांति, लोहड़ी मने, खुशियाँ छाई अंग।। मकर संक्रांति ये कहे, रहो सजग तैयार।हृद
Read Moreविश्व पटल पर आपसे, बढ़ा देश का मान।युवा विवेकानंद है, भारत का अभिमान॥ युवा विवेकानन्द नें, दी अद्भुत पहचान।युवा शक्ति
Read Moreदीये से बाती रुठी, बन बैठी है सौत।देख रहा मैं आजकल, आशाओं की मौत॥ अपनों से जिनकी नहीं, बनती ‘सौरभ’
Read Moreबहरूपियों के गाँव में, कहें किसे अब मीत।अपना बनकर लूटते, रचकर झूठी प्रीत॥ भाई-भाई में हुई, जब से है तकरार।मजे
Read Moreसमय जौहरी कर रहा, परख समय की नित्य।समय सदा लगता मुझको, मानो ज्यों आदित्य।। बनो जौहरी नित करो, बुरे-भले में
Read Moreबने विजेता वह सदा, ऐसा मुझे यक़ीन।आँखों में आकाश हो, पांवों तले ज़मीन॥ तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात।धुन
Read Moreखिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान।आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥ दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएँ हो
Read Moreतुलसी है संजीवनी, तुलसी रस की खान।तुलसी पूजन से मिटें, जीवन के व्यवधान।। विष्णु प्रिया तुलसी सदा, करती है कल्यान।तुलसी
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