मुक्तक
खुद को खुद में दफनाकर जी रहा हूँ मैं,इश्क़ करके जहर ए जुदाई पी रहा हूँ मैं।सुनो जरा! दोष उसका
Read Moreदेवि महामाया सुवन, नृप शुद्धोधन तात। जन्मा शिशु सिद्धार्थ था, लेकर नवल प्रभात। जन्मे गौतम गोत्र में, पाया गौतम नाम।
Read Moreदुर्गा माँ तुम आ गईं,हरने को हर पाप। संभव सब कुछ आपको,तेरा अतुलित ताप।। सद्चिंतन तजकर हुआ,मानव गरिमाहीन। दुर्गा माँ
Read Moreरंग बिरंगे लोग सब, बदलें हर पल रंग। देख जगत की चाल को, विनोद अत्यधिक दंग। फाल्गुन आया झूम कर, करने को
Read Moreटुकड़े टुकड़े हो गये, बिखर गया परिवार। पहले जैसा अब कहां, रहा दिलों में प्यार। टुकड़े टुकड़े हो गये, अब
Read Moreबातें कड़वी मत करें, करें सभी से प्यार तब पाओगे ही सदा, सफल सुखी संसार ऊपर से शरीफ दिखे, भीतर
Read Moreसंशय संशय मन मत पालिए, संशय करे तबाह । संशय की दीवार को, दो इक पल में ढाह। बदलें कब हालात
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