अंटी मार रहे
वो दुकानदार बनके,मार रहे हैं अंटीकभी हक-अधिकार कोकभी रोजी-रोजगार को।सोंचता हूँ दुकानदार बदलेगापर नही बदलता हैलुभावने वचनों में उलझाकरहमको ही
Read Moreवो दुकानदार बनके,मार रहे हैं अंटीकभी हक-अधिकार कोकभी रोजी-रोजगार को।सोंचता हूँ दुकानदार बदलेगापर नही बदलता हैलुभावने वचनों में उलझाकरहमको ही
Read Moreशब्द क्यों खोने लगे हैंसोच कर हैरान हूँ ।चिंतन को वक्त नहींफिर भी परेशान हूँ।एक आदत सी हो गई हैबेवजह
Read Moreसुबह हो या शाम वो बसमसरूफ़ ही रहती है।इतवार हो या के कोई भीछुट्टी काम में लगी रहती है।उसे वक़्त
Read Moreउनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात हैकायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब से
Read Moreहमारी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा,रोज गुस्सा मत दिखाया कीजिए । मुस्कुराहट आपकी खूबसूरत बड़ी,जब मनाएं मान जाया कीजिए । दाल
Read Moreठोकरें खाने वाले,कुछ सीख ज़रूर जातें हैं।इस इल्म को हासिल कर,मजबूत क़दम उठाते हैं।नजदिकियां बढ़ाने से,अक्सर परहेज़ करते हैं,उन्हें इसकी
Read Moreयह चार लोग ही हैं दुनिया मेंचलती है जिन की सरदारीझूठे बेईमान चुगलबाज और लालचीइनसे डरती है दुनियां सारी जब
Read Moreयोग, प्राणायाम और सघन ध्यान,मतलब खुद की, खुद से पहचानऊपर से ,सारगर्भित, व्याख्यानइसी को तो, कहते हैंआम के आम, गुठलियों
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