पद्य साहित्य

कविता

जड़ों से कब जुड़ पाओगे

अपनी जड़ों से कब जुड़ पाओगे,कटे रहोगे बंटे रहोगे,चीखोगे,चिल्लाओगे,छटपटाओगे,पर चैन कहां से लाओगे,खुद के बारे में सोचते रहते,अपनों को क्यों

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