पहाड़ों की सुंदरता पर कुछ कविताएँ
पहाड़ की पुकार पहाड़ की पुकार सुनो,चोटियों की ऊंचाई देखो।हरियाली की चादर ओढ़ी,प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। पहाड़ की नदियाँ
Read Moreपहाड़ की पुकार पहाड़ की पुकार सुनो,चोटियों की ऊंचाई देखो।हरियाली की चादर ओढ़ी,प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। पहाड़ की नदियाँ
Read Moreमुक्त हूं मैं रूढ़िवादी सोच से, उन्मुक्त नहीं। स्वतंत्र हूं अवांछनीय बंधनों से, स्वच्छंद नहीं।। संस्कारी मन, सुशील वर्तन, हौसला
Read Moreयूँ तो पीले, लाल, सफेद…जाने कितने गुलाब हैं खिले हुए।पर वो हमारा गुलाब तो था खास ,जाने कितने थे एहसास
Read Moreआरम्भ किसी चीज़ का हुआ हैउसका अंत भी अवश्य आएगाऊंचाईयों पर कोई कब तक ठहरेगाएक न एक दिन तो नीचे
Read Moreपिता की यादें जो हर वक्त दिल में बसी हैं,उनकी सख्ती में भी ममता का एहसास था,उनकी बातें,उनकी हंसी,वो हर
Read Moreसिर पर बाल की तरह छाया होते हैं पिता ,जीवन का वो मजबूत स्तंभ होते हैं पिता ।हर दुख को
Read Moreदोस्तों में बिगाड़ है तो,कोई बात नहीं,कुछ खट्टी-मीठी यादें ताजा हो जाती है।कुछ मनमुटाव हो तो वज़ह जानने की जरूरत
Read Moreधार्मिकता और धर्मांधता में भेद मिटते देखाआज इंसान को हमने हैवान बनते देखा ! पाप पुण्य के रस्सी कस्सी में
Read Moreसूरज मल छोटी बाई की, कनक प्रभा संतान।मातु पिता ने दिया कला था, सुंदर प्यारा नाम।। विवेक शील ममता मयी,
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