लेख– नक्सलियों से निपटने के लिए नए सिरे से नीतियां क्यों नहीं बनती?
सुकमा में बीते दिनों जो हुआ, वह लोकतांत्रिक परिवेश के सत्तर वर्षों में कोई पहली दफ़ा नहीं हुआ हैं। जब
Read Moreसुकमा में बीते दिनों जो हुआ, वह लोकतांत्रिक परिवेश के सत्तर वर्षों में कोई पहली दफ़ा नहीं हुआ हैं। जब
Read Moreआज किस दिशा में हमारा समाज चल पड़ा है। जिस तरफ़ नज़र उठाओ अराजकतावादी परिवेश ही दीप्तमान हो रहा है।
Read Moreदेश की सबसे बड़ी विडंबना है, रहनुमाई तंत्र के हिस्सेदार अपना दामन भर लेते हैं, लेकिन अवाम की मुट्ठी ख़ाली
Read Moreकहते हैं कि आज नारी का अस्तित्व खतरे में हैं मग़र क्यों ? नारी के लिए आज कई सारे कानून
Read Moreविश्व महिला दिवस पर विशेष ब्लॉग्स पढ़ते हुए डॉ. सिंधुताई सपकाल के बारे में पढ़ा. डॉ. सिंधुताई सपकाल की कठिन
Read More‘हमें चाहिए आज़ादी’, ‘हम लेकर रहेंगे आज़ादी’, किसे नहीं चाहिए आज़ादी? हम सभी को चाहिए आज़ादी। सोचने की आज़ादी, बोलने की
Read Moreनारी नर की खान है, नारी कुल की चांदनी है, नारी घर की लक्ष्मी है। नर पुष्प है तो नारी
Read More“हम लोगों के लिए स्त्री केवल गृहस्थी के यज्ञ की अग्नि की देवी नहीं अपितु हमारी आत्मा की लौ है,
Read Moreसीखना एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत निरंतर चलती रहती है। आदमी जितना अधिक
Read More