पूर्वोत्तर भारत का कण-कण जिनकी उपस्थिति का भान कराता है वे हैं दृष्टि, संवेदना और कलम के धनी श्री वीरेन्द्र परमार जी। मुजफ्फरपुर बिहार में पल- बढ़-पढ़कर करतब दिखलाने आ गए पूर्वोत्तर भारत में और सरकारी सेवानिवृत्ति के उपरान्त फरीदाबाद में जा बसे। इनकी गिनती ऐसे चंद लेखकों में की जा सकती है जिनकी पुस्तकों […]
पुस्तक समीक्षा
गढ़ी छोर : लोक संस्कृति का प्रतिबिंब
हिंदी के वरिष्ठ कथाकार जयराम सिंह गौर आम जनजीवन से रूप, रस, गंध और प्रेरणा लेकर अपनी कथाकृतियों को आकार देते हैं I इसलिए इनकी रचनाएँ पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव डालती हैं I इनकी औपन्यासिक कृति ‘गढ़ी छोर’ कानपूर अंचल की लोक संस्कृति का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है I इसमें उस अंचल […]
स्त्री के जीवन की संघर्ष गाथा- बेबी हालदार की आत्मकथा “आलो-आंधारि”
स्त्री के जीवन की संघर्ष गाथा जो पुरुष प्रधान समाज मे एक सतायी गई महिला के लिए समाज के लिए एक ज्वलंत प्रश्न उपस्थित करता है।और यह प्रश्न है करती है कि क्या पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्त्व नही? क्या वर्तमान समय में स्त्रियों के इस सामाजिक स्थिति मे कोई परिवर्तन आया है? […]
पुस्तक समीक्षा – अज्ञान से विज्ञान की ओर (भाग – 1)
प्रसिद्ध आलोचक श्री शैलेंद्र चौहान अपने एक आलेख ‘वैज्ञानिक चेतना और साहित्य ‘ में लिखते हैं कि ‘विज्ञान के अविष्कार की आदि भूमि भारत को मानने की काल्पनिक प्रवृत्ति को अंग्रेजी राज्य के दिनों में अधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ ! अठारहवीं सदी में ब्रह्म समाज के अनुयायियों तथा जनता के अन्य प्रगतिशील वर्गों ने पश्चिमी […]
असम के शहीद स्वतंत्रता सेनानी
सूचना क्रांति के इस युग में भी पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच अपरिचय का हिमालय यथावत खड़ा है I अपने ही देश के एक महत्वपूर्ण भूभाग के बारे में लोगों की जानकारी अधूरी और भ्रांतिपूर्ण है I इस स्थिति में असम के स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य और त्याग की महागाथा से देशवासियों की […]
‘इनसे हैं हम’ : महान पूर्वजों की महागाथा
भारत भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं है, बल्कि यह हजारों वर्षों की ज्ञान परंपरा है, वसुधैव कुटुम्बकम का उद्घोष है, ऋग्वेद की ऋचा है, गौतम बुद्ध का शांति संदेश है, भगवान श्रीकृष्ण की गीता का निष्काम कर्मयोग है, गुरु नानक की वाणी है, सरस्वती की वीणा है और भगवान शंकर का डमरू है I […]
अंकित है जो समय शिला पर : डायरी नहीं, समय का दस्तावेज़
काल की गति बहुत निर्मम होती है, उसकी समरस चक्की सबको पीसती चलती है I समय सबसे बड़ा गुरु, न्यायाधीश और आलोचक होता है I समय की सत्ता के सम्मुख मनुष्य की कोई सत्ता नहीं है I गुजरता हुआ समय मनुष्य को कोई न कोई सीख देता चलता है, लेकिन अपने अहंकार, लोभ और अज्ञान […]
असम में हिंदी के विकास में हिंदीभाषियों का योगदान:लेखक के समर्पण का साक्षी
महाभारत में असम का उल्लेख प्रागज्योतिषपुर के रूप में मिलता है। कालिका पुराण में भी कामरूप–प्रागज्योतिषपुर का वर्णन मिलता है। असम पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है I यह प्रदेश अनेक संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है I श्रीमंत शंकरदेव की इस पुण्य भूमि में अनेक संस्कृतियां, सभ्यताएं, विचारधाराएं और परम्पराएं घुलमिलकर दूध में […]
समीक्षा- आगे से फटा जूता
गीतकार यश मालवीय की एक चर्चित पंक्ति है…‘‘हर अनुभव को गीत बनाने की जिद है।’’ रामनगीना मौर्य के संबंध में भी बेहिचक कहा जा सकता है कि वे हर अनुभव को ‘कहानी’ बनाने के लिये कृतसंकल्प हैं।’ उनके सभी कहानी-संग्रहों में आस-पास की घटनाओं, कुरूपताओं, विडम्बनाओं, संभावनाओं और सुखद-दुःखद अनुभूतियों को इस तरह कथात्मक रचाव […]
साई अमृत बिंदु
अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करने की ओर लगातार अग्रसर सतना (मध्यप्रदेश) की विदुषी, धार्मिक महिला, वरि. कवयित्री/लेखिका श्रीमती ममता श्रवण अग्रवाल “अपराजिता” की अनूठी पुस्तक “साई अमृत बिंदु” पढ़कर उनके बृहद व्यक्तित्व का अहसास होता है। इसके पूर्व कई पुस्तकों के अलावा “सरल रामायण-रामायण का भावानुवाद” में उन्होंने संपूर्ण रामचरित मानस का अपने शब्दों में […]