ढलती शाम
प्रकृति के नियम बड़े अटूट होते हैं, हर सुबह की शाम होती है, घनघोर अंधेरा भी प्रकाश आने से नहीं
Read Moreप्यारे बच्चो! तुम्हें बताऊं, दिवाली की कथा सुनाऊं। दिया जलाकर घर सजाऊं; खुशियों का यह पर्व मनाऊं।। बहुत पहिले अवधपुरी
Read More“सुनिये ना क्या तय किये आप ; मानती हूँ सारी गलती हमारी है। घर छोड़ने को मैंनें ही आपको मजबूर
Read Moreत्योहारों का मौसम आया सबकी व्यस्तता बढ़ाया, अभी करवा चौथ बीता है, अब धनतेरस,जमघंट के बाद दीवाली की तैयारी है,
Read Moreजीवन एक अनुभव… एक बुलबुला, ओस की बूंद, एक बादल, जीवन की सच्चाई है… जीवन एक अनुभव है… एक हँसता-मुस्कुराता
Read Moreबैठी हूँ तरू तल में अपनी क्लान्तियों को लिए हुए, देख रही हूँ चंचल मन तितलियों को लिए हुए,। झूम
Read Moreकौन यहाँ आता है , कौन मुँह छिपाता है । कौन आकर पल दो पल पास बैठ जाता है। सुनता
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