काश….!
गुलाबी ठंड का एहसास कराता अक्टूबर का माह आ गया है, मैं खुश हूं….. सूरज के रुख में थोड़ी
Read Moreकिसी के घाव पर मरहम नहीं छिड़कती है ये दुनिया। बस मौका मिले तो जीभर घाव कुरेदती है ये दुनिया।
Read Moreमन की इच्छा हो तुम मेरे जीवन की अभिलाषा हो , धुंधले से मेरे शब्दों की, तुम स्पष्ट रूप परिभाषा
Read Moreहां! मुखर हो गई है,,, मेरी लेखनी लिखना नहीं चाहती… यह कविता! कैसे लिखे सुंदरता पर यह जब रोज मरे…
Read Moreप्यार एक महसूस करने वाली चीज है। प्यार को किसी, शब्द,भाव या परिधि में बाँधा नहीं जा सकता। प्यार को
Read Moreएक तरफ हम ‘गीता’ को आदर्श मानते हैं । कर्म को सबका गूढ़ मानते हैं , दूसरी तरफ उस रचना
Read Moreभाषाई मानदंड के लिहाज से कभी-कभी यह संशय भी लगता है कि यह ठाकुर की रचना है या नहीं !
Read Moreनानीमाँ, दादीमाँ, बड़ी माँ, छोटी माँ, माँ-सी माँ, सगी माँ, मित्रो की माँ, प्रियजनों व परिजनों की माँ एवं भारत
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