ग़ज़ल
दुनिया है पास फिर भी तेरा इंतजार है आओगे एक दिन तुम मुझे ये ऐतबार है। लब साथ नहीं देते
Read More:-बहुत हो चुकी मनमानी-: बहुत हो चुकी राजनीति है, बहुत हो चुकी मनमानी अब नही चलेगी एक तुम्हारी, सुन लो
Read More”अब तो अपने जीवन की ढलती सांझ है, अब क्या चलना और कैसा चलना!” रेडियो पर बजते गीत ”जीवन चलने
Read Moreप्यार छुपाना आसान है, प्यार निभाना मुश्किल है, सांस लेना आसान है, सांसों का टूट जाना मुश्किल है, दूसरों का
Read Moreसाहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के गीत साला मंच द्वारा शिवरात्रि के उपलक्ष में ऑनलाइन कवि सम्मेलन करवाया गया।जिसमें राजीव
Read Moreघर का चिराग जब घर को जलाये क्या उस पर गर्व करूँ घर का भेदी ही जब लंका ढ़हाए क्या
Read Moreजाति – धर्म का दंश पुराना झेल रहा यह हिन्दुस्तान || कैसे कह दूँ कि सर्वधर्म का मेल रहा यह
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