कलियां ही ग़र तुम तोड़ोगे
कलियां ही ग़र तुम तोड़ोगे तो पुष्प कहाँ से लाओगे। अपना सूना आँगन फिर, तुम किससे महकाओगे। क्यों निर्मम हत्याएँ
Read Moreकलियां ही ग़र तुम तोड़ोगे तो पुष्प कहाँ से लाओगे। अपना सूना आँगन फिर, तुम किससे महकाओगे। क्यों निर्मम हत्याएँ
Read Moreकल आसिफा थी। आज ट्विंकल है। आनेवाले दिनों में सिमरन, जूली ….ऐसी कोई भी दूधमुँही हो सकती है। इन पीड़िताओं
Read Moreअसली संत-महंत कितनी सहजता से, स्तर के अनुरूप शिक्षा दे जाते हैं, यह आज भगवान गौतम बुद्ध का एक प्रेरक
Read Moreफिर शर्मसार हुई मानवता फिर से जागा शैतान कोई फिर हैवानियत ग्रास बनी है फूल सी नन्ही जान कोई किया
Read More‘भइया, 10 किलो नींबू और 5 किलो हरी मिर्च तोल दे जल्दी से’ कमला सुबह 4.30 बजे ही थोक सब्जी
Read Moreहुई बरसात तो तुम याद आए उमड़े जज्बात तो तुम याद आए, हिचकियां हिचकियों पर आती रही किसने किया याद
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