हम क्या से क्या हो गये
हम क्या से क्या हो गये भ्रम में पड़े बीमार हो गये हिंदू-मुस्लिम करते-करते खूनी दंगों के शिकार हो गये
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Read Moreदेश में एक ऐसा वर्ग बन गया है जो कि संस्कृत भाषा से तो शून्य हैं परंतु उनकी छद्म धारणा
Read Moreमुरझाये चेहरे को हमेशा मुस्कान देती माँ तो माँ है देखते ही दर्द पहचान लेती। जब कभी उदास हो जाऊँ
Read Moreइस पूरे ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी ही हरी-नीली अभिनव रंगों से आभायुक्त अभी तक एकमात्र ग्रह है ,जिस पर सांसों
Read Moreरावतभाटा राजस्थान परमाणु बिजली घर के सेवानिवृत् परमाणु वैज्ञानिक दिलीप भाटिया को उनके स्वरचित मौलिक लघुकथा सन्कलन ” भीगी पलकें
Read More“हँसता गाता बचपन” की भूमिका और शीर्षक गीत — हँसता-खिलता जैसा, इन प्यारे सुमनों का मन है। गुब्बारों सा नाजुक,
Read Moreनारी हूँ मैं सिर्फ यही चिंता तो समाज को है , कौन जानता है दुख मेरा , सबको मतलब सिर्फ
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