दिलखुश जुगलबंदी-14
सोच-समझकर शब्द बोलें शब्दों की भारी भीड़ से एक से बढ़कर एक शब्द चुनकर रंगबिरंगी माला जब सजने लगी मानो
Read Moreसोच-समझकर शब्द बोलें शब्दों की भारी भीड़ से एक से बढ़कर एक शब्द चुनकर रंगबिरंगी माला जब सजने लगी मानो
Read Moreलोकतंत्र की धज्जी उड़ गयी, इस चुनाव की आँधी में शोर ‘चोर का’ चोर मचाए, इस चुनाव की आँधी में।
Read Moreपरिवर्तन है नियम प्रकृति का, परिवर्तित चहुँ दिश होती है। मन, समाज, स्थिति, ऋतुओं में, सृष्टि नवल कुछ तो बोती
Read Moreइस पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण और प्रकृति को जितनी तबाही और विनाश इस मनुष्य प्रजाति ने किया है, उतना करोड़ों
Read Moreयह दौड़ जिंदगी की शतरंज का खेल है स्याह और सफेद सुख-दुख का मेल है यह फौज दुश्मनों की मोहरों
Read Moreयह ज़िंदगी काफ़ी उलझनों का ताना-बाना लिए हमें विवशता के भंवर में डुबो देती है। जिससे उबरने में वक़्त लगता
Read Moreमेरा प्यार बेशक समंदर से भी है मगर गाँव के अपने पोखर से भी है किनारे जो लग करके डूबा
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