ग़ज़ल (बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था)

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : बचपन यार अच्छा था…

जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था बारीकी जमाने की, समझने

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