बाल कविता – गोल ही गोल
सूरज गोल चंदा गोल। धरती , अंबर , तारे गोल।। गाड़ी के पहिए हैं गोल। गेंद हमारी सबसे गोल।। मुरगी
Read Moreसूरज गोल चंदा गोल। धरती , अंबर , तारे गोल।। गाड़ी के पहिए हैं गोल। गेंद हमारी सबसे गोल।। मुरगी
Read Moreगुड़िया की शादी बात सुनो न दादी प्यारी।।
Read Moreएक दिवस भोलू बन्दर ने पर्स राह में पाया. नोट देखकर काफी उसमें ऐसा प्लान बनाया- पाँच सितारा होटल में
Read Moreमौसम कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते। सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते।। — दिवस बढ़े हैं शीत
Read Moreमैं हूँ तितली रानी-मैं हूँ तितली रानी. बहुत ध्यान से बच्चे सुनते, मेरी मधुर कहानी. बगिया-बगिया जाती हूँ. फूलों पर
Read Moreप्रॉमिस डे आज आया है, वादा मुझे भी करना है, छोटा बच्चा हूं तो फिर क्या! सबके दुःख को हरना
Read Moreफागुन में कुहरा छाया है। सूरज कितना घबराया है।। — अलसाये पक्षी लगते हैं। राह उजाले की तकते हैं।। —
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