खुद को स्वीकार करना
जब तुम्हें तुम्हारे होने पर ही शक होने लगे जब गम मुस्कुराये और खुशियां रोने लगे जब ईश्वर से तुम्हारा
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Read Moreमाँ कहती थी हम भागे थे आधे अधूरे से लेकर दो बच्चों को साथ सारे गहने पहन लिए थे। एक
Read Moreभारतीय समाज में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि ‘रेशम का कीड़ा खुद अपने मुँह से निकाले धागे में लिपटते-लिपटते
Read Moreबुजुर्गो का आशीर्वाद ,सलाह सदैव काम आती है ये उनके पास अनुभव का ऐसा अनमोल खजाना होता है जिनको पीढ़ी दर
Read Moreवासंती मौसम का कैसा, उजड़ गया सिंगार? बागों में खिले फूल लाश के, कहीं बिछी अंगार! चीख रही फागुन में
Read More# आशाओं के सेतू साथी ! चल मिलकर बाँधेंगे आशाओं के सेतू … तू व्यर्थ अकिंचन रोता है क्युँ साहस
Read Moreहर कोई हैरान था, परेशान था. पी एम मोदी का सोशल मीडिया से मोहभंग क्यों? ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब
Read Moreस्पर्श करती उत्तुंगता को, अंतस से उठती इच्छाएँ! संघर्षों से जीती जाती, जीवन की प्रतिकूल बलाएँ!! असमय कालचक्र में बिंधकर,
Read Moreघने अंधेरे छायेंगे, विपत्ति भी डेरे लगायेंगे | देख प्रतिकूल हालातों को, शूल स्वयं बिछ जायेंगे || हर अवरोध को
Read Moreधरती से ज़रा सा ऊपर उठकर देखा तो बड़े हिस्से पर बादलों के कारण कहीं-कहीं गहरा कालापन और कहीं तेज
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