गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल- वीरानी गायब

घर से दादी-नानी गायब.
किस्से और कहानी गायब.
इन्टरनेट में खोया बचपन,
बचपन की शैतानी गायब.
वो ये खबर पढकऱ डर जाता-
बेटी एक सयानी गायब.
इश्क़ नहीं, तेज़ाब दिलों में,
वो चेहरा नूरानी गायब.
गायब कान्हा की बाँसुरिया,
प्यारी राधा रानी गायब.
हम नदियों को जोड़ रहे हैं,
पर आँखों का पानी गायब.
“मुश्किल-मुश्किल” सोचोगे तो,
होगी हर “आसानी” गायब.
तुम जंगल में मंगल कर दो,
हो जाये वीरानी गायब.

— डाॅ. कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674