कुण्डलिया छंद
सादर शुभ दिवस, एक कुण्डलिया आप सभी को सादर निवेदित है “कुण्डलिया” सरदी आखिर आ गई, लिए बरफ की छाँव
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Read More“”गर्व से बोलो,मैं भारतवासी हूँ। प्रत्येक भारतीय मेरा भाई है। भारतवासी मेरे प्राण हैं। भारत के देव-देवियाँ मेरे ईश्वर हैं,
Read Moreभूल गया हूँ झूठ से दोस्ती करना गुनाहों को साथ रखना रेत की जमीं पर अपनी किस्मत को पढ़ना l
Read Moreरे बंसी बजाई हरजाई सगरी सुध बिसराई झट- पट गोपिन आई ************* वो तेरी छुअन मोहे मन प्रेम अगन जगे
Read Moreप्रणय गीत गाऊँ मैं कैसे | बोले आतंक लहू की भाषा हर मन बैठी आज हताशा राजनीति डायन ने
Read Moreओ३म् यदि हम अतीत की बातें छोड़कर वर्तमान संसार में विद्यमान मनुष्यादि अनेक प्राणी योनियों में जीवात्माओं के जन्म पर
Read Moreऐ देश मेरे! तेरा रंग निराला है। मगर क्या तू कभी आगे बढ़ने वाला है? क्योंकि तेरे हर शुभ काम
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