भजन/भावगीत

तम को करो आलोक मां…

तम को करो आलोक मां, मन ज्ञान की ज्तोति करो।
मां शारदे वाणी को अमृत, शब्दो को मोती करो॥

मन मूढ़ता के वास से मुक्ति दो, हमको शारदे।
शब्दों के हम साधक बने, शक्ति दो हमको शारदे॥
जग का करे तम दूर मां, हृदय में वो ज्तोति भरो……
मां शारदे वाणी को अमृत, शब्दो को मोती करो….

मन में बहा कर ज्ञान गंगा, मुक्ति दो अज्ञान से।
हम प्रेम के सागर बने, मन दूर हो अभिमान से॥
कर्तव्त पथ पर ड़ट रहे, जीवन में नव ज्योति भरो….
मां शारदे वाणी को अमृत, शब्दो को मोती करो…….

वाणी बने कमजोर की, दुर्बल की हम पीडा लिखे।
कल्याण की हो भावना, सच्चाई बस हमको दिखे॥
हम देख पाये हर बुराई, नयन नव ज्योति भरो…..
मां शारदे वाणी को अमृत, शब्दो को मोती करो….

भावों के कागज पर, लिखें हम सर्वसुख की कामना।
सच की कलम कर्मों की स्याही, को बना मन भावना॥
मर्यादा के प्रहरी बने हम, पथ वो आलोकित करो…
मां शारदे वाणी को अमृत, शब्दो को मोती करो….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.