मेरी कहानी 194
बैनमर के कहने के मुताबिक वैस्ट पार्क अस्पताल से मुझे खत आ गया कि स्पीच थेरपी के लिए मैं वहां
Read Moreबैनमर के कहने के मुताबिक वैस्ट पार्क अस्पताल से मुझे खत आ गया कि स्पीच थेरपी के लिए मैं वहां
Read Moreचाँद को, महफ़िल में आकर देखिये । इक ग़ज़ल मेरी सुनाकर देखिये ।। गर मिटानी हैं जिगर की ख्वाहिशें ।
Read Moreमिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया । याद आया फिर मुझे गुज़रा ज़माना शुक्रिया ।। ढल गई चेहरे
Read Moreनित नित कष्ट उठाती अम्मा। कभी नही उकताती अम्मा । * सूखे मेँ थी मुझे सुलाती , गीले मे सो
Read Moreहमको अपना पता नही मिलता, कोई घर भी खुला नही मिलता। सिर्फ सरगोशियाँ सी सुनती हूँ, मुझमें आया गया नही
Read Moreकिं + नर, यानी जिनकी योनि और आकृति पूर्णतः मनुष्य की न मानी जाती हो. इनकी उत्पत्ति के सम्बंध में
Read Moreनव वर्ष की बात….. दीप जलें, तमस टले, प्रकाश का आगमन हो, खुशियाँ हों, शुभ सन्देश मिलें, नूतन वर्ष सनातन
Read Moreबेचैन आँखों को तलाश है तुम्हारी एक झलक पाने की निहार रही हूँ राहे कब से तुम्हारे लौट आने की
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