कविता : नाव छूट ही जाते हैं
नाव छूट ही जाते हैं मन के मन के लिए डूबता तैरता रहता हूं तुम्हारी नदियों में दिन भर के
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Read Moreदिल्ली एमसीडी चुनावों में करारी हार झेलने के बाद पार्टी में बढ़ते असंतोष के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहली
Read Moreचलो वहाँ तक साथ निभायें. चलो वहाँ तक साथ निभायें. जहाँ अमा की रात न आये, जहाँ न सूरज तपे-तपाये.
Read Moreखेवत उर केवट बनि, केशव सृष्टि विचरत; सुर प्रकटत सुधि देवत, किसलय हर लय फुरकत ! कालन परिसीमा तजि, शासन
Read Moreसवाल थोडा अटपटा सा है जिस पर कुछ देर को ही सही पर नेहरु को भी कोसा जाना लाजिमी है
Read Moreसघन चिकित्सा कक्ष का दरवाजा खुला और उसमें से डॉक्टर मुखर्जी बाहर निकलते हुए अपने हाथों से दस्ताने खींचते हुए
Read Moreतेरे आने से मन चहकने लगे। हो न ऐसा कि तू बहकने लगे। नाम की तेरे चुड़ियाँ पहनू हो न
Read Moreमेरे एक मित्र ने ईसाई मत की प्रचारनीति के विषय में मुझसे पूछा। ईसाई समाज शिक्षित समाज रहा है। इसलिए
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